अंतरराष्ट्रीय डॉग डे: बस्तर में नकसलियों द्वारा बिछाए गए 4,000 किलोग्राम विस्फोटक का पता लगाने में सूंघने वाले कुत्तों की अद्भुत भूमिका
अंतरराष्ट्रीय डॉग डे पर बस्तर में सूंघने वाले कुत्तों की महत्वपूर्ण भूमिका
अंतरराष्ट्रीय डॉग डे का यह दिवस, बस्तर, छत्तीसगढ़ में सुरक्षा अभियानों में तैनात सूंघने वाले कुत्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है। ये कुत्ते, मुख्य रूप से लैब्राडोर नस्ल के हैं, जिन्होंने नकसलियों द्वारा बिछाए गए 4,000 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का पता लगाया है। इस अद्भुत उपलब्धि के कारण उन्होंने न केवल सुरक्षा बलों को संभावित खतरे से बचाया है, बल्कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार
सूत्रों के अनुसार, ये विस्फोटक बस्तर के बीजापुर जिले में पाए गए थे। ऐसा माना जा रहा है कि नकसलियों ने इन विस्फोटकों को सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए बिछाया था। इन कुत्तों के समय पर हस्तक्षेप ने संभावित तबाही को टाल दिया। यह खोज इस बात पर जोर देती है कि कैसे ये कुत्ते सुरक्षा अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और नकसली गतिविधियों के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख योगदान देते हैं।
सूंघने वाले कुत्तों की प्रशिक्षण और भूमिका
सूंघने वाले कुत्तों का प्रशिक्षण बेहद कठोर और विस्तृत होता है। इन कुत्तों को विभिन्न विस्फोटकों और अन्य हानिकारक सामग्रियों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। प्रशिक्षण प्रक्रिया में विस्फोटकों, मादक द्रव्यों और अन्य अवैध सामग्रियों की पहचान करना सिखाया जाता है। इन प्रशिक्षणों के दौरान, कुत्तों को विभिन्न परिदृश्यों में तलाश और पहचान के लिए तैयार किया जाता है।
प्रशिक्षण केंद्र और विधियां
देश में कई संस्थान और सुरक्षा एजेंसियां इन कुत्तों के प्रशिक्षण में विशेषज्ञता रखते हैं। इन प्रशिक्षण केंद्रों में, कुत्तों को उच्चतम श्रेणी के प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण विधियों में खेल, पुरस्कार, और स्नेह का उपयोग कर कुत्तों को सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि कुत्ते अपने कार्य को अत्यधिक कुशलता और तत्परता से पूरा करें।
नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों में सूंघने वाले कुत्तों की महत्वता
छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र नकसल-प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। यहां पर अमूमन सुरक्षा बलों को खतरे का सामना करना पड़ता है। नकसलियों द्वारा सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर बिछाए गए आईईडी और अन्य विस्फोटकों से इन्हें खतरा होता है। ऐसे में इन सूंघने वाले कुत्तों का कार्य अपरिहार्य हो जाता है।
उदाहरण के लिए, हाल ही में बीजापुर जिले में सूंघने वाले कुत्तों ने जिस प्रकार से 4,000 किलोग्राम विस्फोटक का पता लगाया, वह इनके अद्भुत कार्य का प्रमाण है। बिना इन कुत्तों के, सुरक्षा बलों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता था। यह घटना इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण है कि सूंघने वाले कुत्ते कैसे सुरक्षा अभियानों को सफल बनाते हैं और जान-माल की रक्षा करते हैं।
सूंघने वाले कुत्तों की स्वीकृति
देश में और विशेष रूप से नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों में सूंघने वाले कुत्तों की स्वीकृति बढ़ी है। सुरक्षा बलों और एजेंसियों ने इन्हें अपने दल में शामिल कर इनकी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का निश्चय किया है। इनका साहस और निष्ठा प्रत्येक सुरक्षा अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अंतरराष्ट्रीय डॉग डे के अवसर पर, सुरक्षा बलों ने इन कुत्तों के योगदान को न केवल पहचानते हुए, बल्कि उनका सम्मान भी किया है। यह दिन इन बहादुर कुत्तों के साहस और निष्ठा को समर्पित है जिन्होंने न केवल विस्फोटकों का पता लगाया बल्कि कई जानों को भी बचाया है।