जब सोने की कीमतें लगातार ऊपर की ओर बढ़ रही थीं, तो बाजार में यह आश्चर्य नहीं था कि चेन्नई और दिल्ली जैसे बड़े मेट्रो शहरों में दरें नई ऊँचाइयों तक पहुँचेंगी। 29 सेप्टेंबर 2025 को 24‑करीत सोना ग्राम के हिसाब से ₹11,640 पर बंद हुआ, जो पिछले दिन से ₹92 की तेज़ी से बढ़ा। यह वृद्धि अक्सर त्योहारी मौसम में थोड़ी‑बहुत गिरावट की अपेक्षा के उलट है, लेकिन इस साल की महंगाई, डॉलर की कमजोरी और यू.एस. फेडरल रिज़र्व की नीति संकेत सोच‑समझकर खरीदारी को बढ़ावा दे रहे हैं।
पिछले हफ्ते की कीमतों का प्रवाह
सिर्फ़ एक हफ़्ते में 24K सोने की कीमत में लगभग ₹200 का अंतर रहा। 28 सेप्टेंबर को यह ₹11,548/ग्राम थी, जबकि 27 सेप्टेंबर को ₹11,507/ग्राम। 26 सेप्टेंबर को ₹11,519/ग्राम और 25 सेप्टेंबर को ₹11,444/ग्राम से शुरू होकर, हर दिन कीमत में छोटे‑छोटे लेकिन उल्लेखनीय बढ़ाव देखे गए। नज़र डालें तो 25 सेप्टेंबर को 10 ग्राम सोना ₹1,12,800 में बिक रहा था – पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में दो अंकों की छलांग।
शहर‑शहर में विशिष्ट दरें
विक्री में अग्रिम पंक्ति पर चेन्नई रहा, जहाँ 24K सोना ₹11,655/ग्राम पर ट्रेड हो रहा था। दिल्ली भी पीछे नहीं रहा, उसने भी समान दर पर सौदा किया। 22K सोना दिल्ली में ₹10,685/ग्राम और 18K सोना ₹8,745/ग्राम पर उपलब्ध था। उत्तरी भारत के महँगे शहरों से लेकर दक्षिण के मेट्रो तक, कीमतों में अंतर बहुत न्यूनतम रहा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि राष्ट्रीय स्तर पर मांग में समान रीढ़ है।
मूल्य वृद्धि के वैश्विक कारण
ग्लोबल परिप्रेक्ष्य में, 2025 में सोने की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें $3,800 प्रति औंस से ऊपर चली गई थीं – यह साल की शुरुआत से 45 % की वृद्धि दर्शाता है। इस उछाल के पीछे कई कारक हैं:
- यू.एस. फेडरल रिज़र्व ने संभावित ब्याज दर कटौती के इशारे दिए, जिससे गैर‑उपज वाली संपत्ति सोना अधिक आकर्षक बन गया।
- डॉलर में निरंतर गिरावट ने सोने को अन्य मुद्राओं में सस्ता बना दिया, जिससे विदेशी निवेशकों की खरीदारी में बढ़ोतरी हुई।
- मध्यमांश में बढ़ती महंगाई और भू‑राजनीतिक तनाव ने निवेशकों को "सुरक्षित आश्रय" की तलाश में धकेला।
इन सबके बीच भारत के आयात पर भी असर पड़ा। भारत में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने बताया कि इस साल सोने की वैश्विक माँग में 6 % की वृद्धि हुई है, मुख्यतः भारत और चीन के उतंवर्थी सतत खरीदारी के कारण।
विश्लेषकों की राय
जब बात आती है स्थानीय विशेषज्ञों की, तो रजत सिंह, मुख्य विश्लेषक एसबीआई कैपिटल मार्केट्स ने कहा, "त्योहारी माँग और वैश्विक सप्लाई‑डिमांड असंतुलन का मिश्रण इस साल सोने को मजबूत बनाये रखेगा। छोटे‑मध्यम सुधार देखने को मिल सकते हैं, पर समग्र ट्रेंड बुलिश ही रहेगा।" उन्होंने यह भी इशारा किया कि निवेशकों को दीर्घकालिक हेज के रूप में सोना रखने की सलाह दी जानी चाहिए।
दूसरी ओर, सविता मेहरा, वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने कहा, "यदि उपभोक्ता विश्वास में गिरावट आती है या वैश्विक पॉलिसी में अचानक बदलाव होते हैं, तो हम कीमतों में अचानक गिरावट देख सकते हैं। लेकिन अभी की स्थिति में, भारतीय उपभोक्ता सोने को एक सांस्कृतिक और वित्तीय दोनों ही पहलू से देखते हैं, इसलिए अल्पकालिक झटके बहुत कम हैं।"
आगे की दिशा और निवेशकों के लिए सुझाव
नजदीकी भविष्य में दो संभावनाएं प्रमुख लागत में दिखती हैं। पहला, अगर यू.एस. फेडरल रिज़र्व वास्तविक दर कटौती की घोषणा करता है, तो डॉलर और सोने के बीच वचनबद्धता और सुदृढ़ होगी, जिससे कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। दूसरा, अगर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भू‑राजनीतिक तनाव घटता है और अर्थव्यवस्था स्थिर होती है, तो सोने की वहन क्षमता थोड़ा घट सकती है, लेकिन भारत में त्योहारी माँग यह संतुलन बना कर रखेगी।
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे दीर्घकालिक पोर्टफोलियो में सोने को 5‑10 % के बीच रखें, साथ ही तत्काल बाजार गति को देखते हुए छोटे‑सत्र की खरीद‑फरोख्त में सतर्क रहें।
समुदाय पर संभावित असर
लगातार उच्च कीमतें घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बोझ बढ़ा रही हैं, विशेषकर मध्य वर्ग के लिए। फिर भी, कई लोग इसे बचत के साधन के रूप में देखते हैं, इसलिए बुकिंग एजेंसियों और आभूषण निर्माताओं की बिक्री में स्थिरता बनी हुई है। सरकारी नीतियों के संदर्भ में, यदि केंद्रीय बैंक सोने के आयात पर रिवाज में बदलाव करता है, तो यह कीमतों में जड़ता या उतार-चढ़ाव उत्पन्न कर सकता है।
Frequently Asked Questions
तेजियों के दौरान आम जनता को सोने की कीमतें कैसे प्रभावित करती हैं?
उच्च कीमतें आयुर्वेदिक और सोने के आभूषणों की खरीदारी को महँगा बनाती हैं, परन्तु कई परिवार इसे बचत व सुरक्षित निवेश के रूप में देखते हैं। इस कारण आभूषण दुकानों में बिक्री में सूक्ष्म वृद्धि होती है जबकि रोज़मर्रा की उपयोगी वस्तुओं की मांग घटती है।
क्या भविष्य में अमेरिकी ब्याज दरों में बदलाव सोने की कीमतों को फिर से गिरा सकता है?
यदि फेडरल रिज़र्व दरों में वृद्धि करता है, तो डॉलर को मजबूती मिलती है और सोना महँगा हो जाता है, जिससे कीमतों में गिरावट आ सकती है। परन्तु इस वर्ष के मध्य तक ऐसी कोई बड़ा संकेत नहीं मिला है, इसलिए शॉर्ट‑टर्म में बुलिश ट्रेंड जारी रहने की संभावना है।
क्या भारतीय निवेशकों को सोने में निवेश करने के लिए नया कोई नियामक कदमों की जरूरत है?
वर्तमान में RBI ने सोने के आयात पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं लगाया है। भविष्य में यदि आयात शुल्क बढ़ाया जाता है, तो वह कीमतों को ऊपर ले जा सकता है। लेकिन अभी के लिए, नियामक ढाँचे में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।
त्योहारी सीजन में सोने की कीमतों में अचानक गिरावट की संभावना कितनी है?
त्योहारी खरीदारी का दबाव आम तौर पर कीमतों को स्थिर या बढ़ाता है। अचानक गिरावट तभी सम्भव है, जब वैश्विक बाजार में बड़े स्तर पर आर्थिक स्थिरता या फेडरल रिज़र्व की नीति बदलती है। वर्तमान संकेत यह नहीं देते कि ऐसी तीव्र गिरावट निकट भविष्य में होगी।
deepika balodi
सितंबर 29, 2025 AT 22:56