भारत ने स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के AMCA स्टेल्थ फाइटर प्रोग्राम को दी मंजूरी

AMCA: भारत का स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर अब हकीकत के करीब
भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) फाइटर जेट प्रोग्राम के क्रियान्वयन मॉडल को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी है। इससे न सिर्फ भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ेगी, बल्कि यह घरेलू एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के लिए भी मील का पत्थर साबित होगी। AMCA का वजन करीब 25 टन होगा और इसमें दो इंजन लगे होंगे। इसकी सबसे बड़ी खासियतों में शामिल हैं एडवांस्ड स्टेल्थ फीचर, AI आधारित इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, और 1,500 किलोग्राम तक प्रिसिशन गाइडेड हथियार रखने की क्षमता।
इस अत्याधुनिक लड़ाकू विमान की 6.5 टन की फ्यूल कैपेसिटी इसे लंबे और गहरे मिशन के लिए तैयार करती है। यानी अब वायुसेना को सीमित दूरी की चिंता छोड़नी होगी। AMCA की तैनाती से हल्के तेजस फाइटर जेट की भूमिका को मजबूती मिलेगी और भारतीयर वायुसेना स्ट्राइक ऑपरेशन में एक नई ऊंचाई तक पहुंचेगी।
आपसी मुकाबले, नई रणनीति और आत्मनिर्भरता का मिशन
₹15,000 करोड़ वाली इस मेगा प्रोजेक्ट का नेतृत्व Aeronautical Development Agency (ADA) कर रही है। पिछले कुछ सालों में वायुसेना की स्क्वाड्रन गिनती लगातार गिरती नजर आई है—अभी सिर्फ 31 स्क्वाड्रन रह गई हैं जबकि 42 की मंजूरी है। AMCA प्रोजेक्ट इसी चिंता को दूर करने के लिए लॉन्च हुआ है। प्रोटोटाइप के विकास में शुरू में देरी हुई थी—2025 की जगह अब 2028 में पहला प्रोटोटाइप सामने आने की उम्मीद है।
AMCA में नेटसेंट्रिक वॉरफेयर सिस्टम होंगे, जिससे ड्रोन और अन्य एयरक्राफ्ट्स के साथ काेऑर्डिनेशन आसान होगा। इसमें Integrated Vehicle Health Management सिस्टम रहेगा, जिससे मेंटेनेंस पहले से प्रीडिक्ट किया जा सकेगा। अवियॉनिक्स पूरी तरह नई जनरेशन के हैं—इनसे रियल-टाइम थ्रेट ट्रैकिंग और काउंटरमेशर्स फौरन अपनाए जा सकते हैं।
रणनीतिक लड़ाई की बात करें तो हाल की घटनाओं में पाकिस्तान के चीनी मूल के J-10C फाइटर और PL-15 मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए AMCA को भारत का जवाब माना जा रहा है। खासकर अप्रैल 2023 के कश्मीर तनाव में पाकिस्तानी J-10C और भारतीय Rafale आमने-सामने थे। ऐसे में पांचवीं पीढ़ी का फाइटर भारतीय एयरस्पेस में बैलेंस ला सकता है।
एक जरूरी पहलू और है—इस बार सिर्फ HAL (Hindustan Aeronautics Ltd) पर भरोसा नहीं किया जा रहा। राष्ट्रीय लक्ष्य के तहत, प्राइवेट सेक्टर को भी इस प्रोजेक्ट में भागीदारी दी जा रही है, जिससे डिलीवरी में पहले जैसी देरी या सप्लाई चेन में रुकावट न हो। अप्रैल 2025 का दस्तावेज इस बात की ओर इशारा करता है कि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स, सप्लाई चेन की मजबूती और बेंचमार्किंग पर पूरा ध्यान रहेगा।
मार्च 2024 में पांच प्रोटोटाइप बनाने की मंजूरी मिल चुकी है और डैवलपमेंट के इस क्रिटिकल फेज में 'मेक इन इंडिया' का सपना अब ज़मीनी हकीकत बनने जा रहा है। भारत इस प्रोजेक्ट के जरिए न सिर्फ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच अपनी वायुसेना को हर मुकाबले के लिए पहले से ज्यादा मजबूत और हाईटेक बना रहा है।