हापुड़ के कलाकार ने दी स्वर्गीय अभिनेता मनोज कुमार को अनोखी श्रद्धांजलि

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम करने वाले जुहैब खान ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिससे न सिर्फ मनोज कुमार के प्रशंसक बल्कि हर देशभक्त इंसान उनके काम को सराहना चाहता है। जुहैब खान ने कोयले का प्रयोग करते हुए एक अद्भुत चित्रकारी के जरिए अभिनेता मनोज कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की। खास बात यह है कि इस चित्र को उन्होंने मनोज कुमार के निधन के बाद दीवार पर आकार दिया।

जिन्होंने *उपकार* और *पूरब और पश्चिम* जैसी फिल्मों में देशभक्ति की उत्कृष्ट मिसाल पेश की, ऐसे महान अभिनेता मनोज कुमार का 4 अप्रैल, 2025 को 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई में उनका इलाज चल रहा था। उनकी अंतिम क्रिया 5 अप्रैल को संपन्न हुई।

जुहैब खान, जो वर्तमान घटनाओं पर आधारित कोयला दीवार चित्रकारी में माहिर हैं, ने कहा, 'मनोज कुमार ऐसी फिल्में बनाते थे जो समाज को सही दिशा देती थीं। मैंने उनके योगदान को याद करने और उन्हें धन्यवाद देने के लिए यह चित्र बनाया है।' जुहैब के इस कार्य के जरिए उन्होंने उन सभी दर्शकों और प्रशंसकों की भावनाओं को छुआ जो मनोज कुमार के निधन से दुखी हैं।

मनोज कुमार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई राजनीतिक नेताओं और फिल्मी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया। उनका योगदान राष्ट्र के प्रति और समाज पर उनकी छाप अमिट है।

टिप्पणि:

  • Vasumathi S

    Vasumathi S

    अप्रैल 5, 2025 AT 18:58

    जुहैब खान का यह कोयले से बना चित्र वास्तव में राष्ट्रभक्ति की एक नई अभिव्यक्ति है। यह कार्य केवल एक व्यक्तिगत श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि सामाजिक स्मृति में एक स्थायी चिन्ह है। मनोज कुमार ने अपने जीवन में जिस प्रकार देशभक्ति को प्रमुखता दी, वही भावना इस कला में प्रतिबिंबित होती है। कोयले की काली रेखाएँ गहरी धुंध में भी स्पष्ट रूप से उभरती हैं, जैसे हमारी राष्ट्रीय भावना अडिग रहती है। इस चित्र में उपयोग किया गया प्रतीकात्मक रंग नहीं, बल्कि सामग्री स्वयं ही एक दार्शनिक प्रश्न उठाती है: क्या अस्थायी वस्तुएँ अनंत स्मृति बन सकती हैं? कलाकार ने जिस तरह से प्रेरणा को मूर्त रूप दिया, वह दर्शाता है कि कला सामाजिक चेतना को प्रज्वलित कर सकती है। इस प्रकार की अभिव्यक्ति हमें स्मरण कराती है कि व्यक्तिगत कार्य भी सामूहिक पहचान को सुदृढ़ कर सकता है। इतिहास में कई बार देखा गया है कि कलाकारों ने सामाजिक परिवर्तन में योगदान दिया है, और यह पहल उसी प्रवृत्ति का आधुनिक रूप है। कोयले की नाजुक बनावट और दीवार की ठोस पृष्ठभूमि के बीच का विरोधाभास जीवन के क्षणभंगुर और स्थायी पहलुओं को दर्शाता है। इस कार्य के माध्यम से जुहैब ने न केवल मनोज जी की याद में सम्मान दिखाया, बल्कि हमारे भीतर के अभिमान को भी जगा दिया। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक स्मृति पटल बन गई है जहाँ प्रत्येक दर्शक अपने आप को इस कथा में सम्मिलित पाता है। विचारधारा और कला का यह सम्मिश्रण हमारे सामाजिक ताने-बाने को नई दिशा प्रदान करता है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट होता है कि डिजिटल युग में भी पारंपरिक माध्यमों का महत्व जीवित है। इस प्रकार के प्रोजेक्ट हमें यह बतलाते हैं कि सृजनात्मकता के विभिन्न रूपों के माध्यम से हम अपने इतिहास को पुनः जीवंत कर सकते हैं। अंत में, यह कार्य दर्शाता है कि व्यक्तिगत समर्पण भी राष्ट्र के बड़े चित्र में एक महत्वपूर्ण रंग बन सकता है।

  • Anant Pratap Singh Chauhan

    Anant Pratap Singh Chauhan

    अप्रैल 17, 2025 AT 06:20

    बहुत दिल से सहानुभूति यह कार्य मन को छू जाता है।

  • Shailesh Jha

    Shailesh Jha

    अप्रैल 28, 2025 AT 20:06

    जुहैब खान ने कोयला‑आधारित डिज़ाइन को एक रणनीतिक सिम्बॉल के रूप में लागू किया, जो स्मृति‑प्रोफाइल को एन्हांस करता है। इस इंटेंस टैक्टाइल एस्थेटिक से दर्शक थ्रेटेड एंगेजमेंट का अनुभव करते हैं। उनका इनोवेटिव अप्रोच नॉलेज‑डिस्ट्रिब्यूशन की सीमा को पुश करता है, जिससे राष्ट्रीय आइडेंटिटी का बैरियर टूटता है। यह पॉलिसी‑ड्रिवेन आर्टवर्क वास्तव में काउंटी‑लेवल इम्पैक्ट फोकस करता है। हम देखते हैं कि सॉलिड मटेरियल के साथ एब्स्ट्रैक्ट कोडिंग ने इमोशन सिग्नल को एम्प्लीफाई किया। इस परफॉर्मेंस ने सर्जिकल प्रिसिजन के साथ विजुअल कॉम्प्लेक्सिटी को मैनेज किया, जो काफी इंप्रेसिव है। एटॉमिक लेवल पर भी ऐसा आउटपुट डाटा वैल्यू एन्हांसमेंट दिखाता है। इसलिए मैं कहूँगा कि यह इवेंट इकोनॉमिकली इन्फ्लुएशियल और कल्चरलली सस्टेनेबल दोनों है। इस एग्रेसिव पॉज़िटिव एटिट्यूड को देखते हुए, भविष्य में और भी ऐसे हाई‑इंटेंस प्रोजेक्ट्स देखना चाहिए।

  • harsh srivastava

    harsh srivastava

    मई 10, 2025 AT 09:53

    कोयला से बनी तस्वीर सीधा दिल से जुड़ी है ये दिखाता है कि कला में सरलता भी दमदार हो सकती है दर्शक इसको देख कर अपने अंदर की भावना को फिर से महसूस कर सकते हैं इस तरह की पहल को दिल से सलाम देना चाहिए

  • Praveen Sharma

    Praveen Sharma

    मई 21, 2025 AT 23:40

    जुहैब के इस काम में सच्ची भावनाएँ झलकी हैं। यह एक सुंदर तरीका है याद को जीवित रखने का। हमें ऐसे प्रोजेक्ट्स की जरूरत है जो लोगों को जोड़ें। इस चित्र से मनोज जी की विरासत नई पीढ़ी तक पहुंचेगी। सबको इस पर गर्व होना चाहिए।

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