IRCTC ने 2.5 करोड़ नकली यूज़र आईडी को ब्लॉक कर साइबर जाल फोड़ दिया

जब IRCTC ने 2.5 करोड़ नकली यूज़र आईडी को बंद कर दिया, तो देशभर के यात्रियों ने आखिरकार थोड़ा साँस लिया। इस बड़े साइबर‑रैकट को ध्वस्त करने की कार्रवाई पाँच महीने, यानी जनवरी से मई 2025 तक, चलते हुए एक विस्तृत जांच का परिणाम थी। नई दिल्ली में स्थित इस राजमार्गीय बुनियादी संरचना के डिजिटल पोर्टल पर बॉट‑संचालित बुकिंगें खुलते‑ही मिनटों में घेर लेती थीं, जिससे सामान्य जनता के टिकट बुक करने की संभावना घटकर राख रह गई थी।
पिछला परिप्रेक्ष्य: कब और क्यों उत्पन्न हुई समस्या
टिकट बुकिंग के दो‑महीने का खुला विंडो, विशेषकर टाटकल बुकिंग, हमेशा से ही हाई‑डिमांड वाला रहता है। लेकिन LocalCircles के एक सर्वे के अनुसार, 73% वैध उपयोगकर्ता पहले मिनट में ही वेटलिस्ट हो जाते थे। यह केवल भीड़‑भाड़ नहीं, बल्कि बॉट‑आधारित स्क्रिप्ट्स की नींव पर आधारित था। ‘Nexus’ और ‘Super Tatकल’ जैसे अनधिकृत सॉफ़्टवेयर का प्रयोग करके रैकेटर्स ने ऑटो‑लॉगिन, फ़ॉर्म‑फिलिंग और तेज़‑पेमेंट को एक‑एक सेकेंड में कर दिया। परिणामस्वरूप, वास्तविक यात्रियों को महँगे सेकेंडरी मार्केट में अपनी जगह खोजनी पड़ती थी।
जाँच के प्रमुख आँकड़े और कार्रवाई
- जाँच के दौरान 2.9 लाख संदेहास्पद PNRs मिले, जो आधिकारिक बुकिंग खुलने से सिर्फ पाँच मिनट पहले उत्पन्न हुए थे।
- 2.5 करोड़ नकली यूज़र आईडी को तत्काल ब्लॉक किया गया; अतिरिक्त 20 लाख आईडी को पुनर्मूल्यांकन के अंतर्गत रखा गया।
- 55% से 62.2% तक बुकिंग की सफलता दर में सुधार हुआ (अक्टूबर 2024 – मई 2025)।
- 22 मई 2025 को 10:00 बजे रिकॉर्ड 31,814 टिकट प्रति मिनट बुक हुए।
इन आँकड़ों से साफ़‑साफ़ पता चलता है कि साइबर‑रैकट कितनी बड़ी छलांगे लगा रहा था।
IRCTC की तकनीकी सुदृढ़ीकरण और नेतृत्व
इस कदम के पीछे रहे मुख्य व्यक्तियों में से एक हैं अजीत गुप्ता, मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी IRCTC। उन्होंने कहा, “हमने एंटी‑बॉट सॉफ़्टवेयर को लागू किया और बड़े कंटेंट‑डिलीवरी नेटवर्क (CDN) के साथ साझेदारी की है, जिससे ट्रैफ़िक के अचानक स्पाइक को भी संभाला जा सके।”
इन उपायों में रीयल‑टाइम कैप्चा, मशीन‑लर्निंग‑आधारित बॉट डिटेक्शन और यूज़र‑एजेंट वैरिफिकेशन शामिल हैं। अब सिस्टम मानव उपयोगकर्ता और स्वचालित स्क्रिप्ट के बीच अंतर को अधिक सटीकता से पहचानता है, जिससे टाटकल बुकिंग में सामान्य नागरिकों को भी असली सीट मिलने की संभावना बढ़ गई है।
उपभोक्ताओं और एजेंसियों की प्रतिक्रिया
स्कैल्पिंग से निराश हुए यात्रियों ने सोशल मीडिया पर कई आवाज़ें उठाईं। एक उपयोगकर्ता ने कहा, “10 बजे साइट ने लग्ज़री कार की तरह काम किया, फिर दो मिनट में सब सीटें गायब हो गईं — ऐसा लगता है जैसे UPSC की परीक्षा की तैयारी में टाइम‑मैनेजमेंट खतरे में हो।” दूसरी ओर, कई बुकिंग एजेंसियों ने “तीन‑गुना रिफंड” की मुहिमें चलाईं, लेकिन IRCTC ने चेतावनी दी कि कोई भी थर्ड‑पार्टी प्लेटफ़ॉर्म टिकट की गारंटी नहीं दे सकता।
रेलवे मंत्रालय ने भी बयान दिया कि वह इस तरह की साइबर‑क्राइम के खिलाफ सख़्त कदम उठाने के लिए अन्य रेल निगमों के साथ सहयोग को मजबूत करेगा। यह कदम यात्रियों के भरोसे को फिर से बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
भविष्य की दिशा: क्या अब टिकट बुकिंग आसान होगी?
सुरक्षा उपायों के बाद भी कुछ चुनौतियाँ बाकी हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि बॉट‑डिटेक्टर्स को लगातार अपडेट करना पड़ेगा, क्योंकि हैकर नई तकनीकों के साथ फिर से हमला करने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही, IRIRCTC को उपयोगकर्ता अनुभव (UX) को आसान बनाना होगा — जैसे कि बुकिंग समय‑सीमा में “प्री‑बुकींग अलर्ट” या “लाइट‑वेट” मोड, जिससे मोबाइल डेटा पर लोड कम हो सके।
यदि इन पहलों को सफलतापूर्वक लागू किया गया, तो भारतीय यात्रा करने वाले हर वर्ग के लोग, चाहे वह मेट्रो शहर से या दूरस्थ गाँव से हों, अब टाटकल बुकिंग के झंझट से थोड़ा कम परेशान होंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नकली यूज़र आईडी ब्लॉक करने से आम यात्रियों को क्या फायदा होगा?
जैसे ही बॉट‑आधारित खातों को हटाया गया, वास्तविक लोग टिकट खिड़की के भीतर अपनी सीट बुक कर सके। ब्लॉकिंग के बाद, LocalCircles के सर्वे में वेटलिस्ट तक पहुँचने का समय 45 सेकंड से घटकर 12 सेकंड हो गया, जिससे मिलने वाले टिकटों का प्रतिशत 62% तक बढ़ गया।
क्या टाटकल बुकिंग अब सुरक्षित है?
सुरक्षा उपायों के बाद टाटकल बुकिंग में बॉट का प्रभाव घट गया है, पर 100% सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती। IRCTC लगातार एंटी‑बॉट अल्गोरिदम को अपडेट कर रहा है, और यात्रियों को समय पर अलर्ट और दो‑फैक्टर ऑथेंटिकेशन अपनाने की सलाह दी जा रही है।
‘Nexus’ और ‘Super Tatकल’ सॉफ़्टवेयर किस तरह काम करते हैं?
इन सॉफ़्टवेयर में स्वचालित लॉग‑इन, फ़ॉर्म‑फ़िलिंग और तेज़़ भुगतान मॉड्यूल होते हैं। वे 0.2 सेकंड में कई बुकिंग फ़ॉर्म भरकर बुकिंग बटन दबा देते हैं, जिससे मानव उपयोगकर्ता के सामने की विंडो पूरी तरह बंद हो जाती है।
भविष्य में IRCTC कौन‑से कदम उठाने की योजना बना रहा है?
IRCTC ने अपनी वेबसाइट में AI‑आधारित ट्रैफ़िक मॉनिटरिंग, यूज़र‑फ़्रेंडली मोबाइल पेज और रीयल‑टाइम बुकिंग अलर्ट लाने की घोषणा की है। साथ ही, वह लॉक‑डाउन के दौरान अतिरिक्त डेटा सेंटर बैक‑अप भी स्थापित कर रहा है, ताकि हाई‑डिमांड समय पर सिस्टम का प्रदर्शन स्थिर रहे।
टिप्पणि:
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IRCTC द्वारा 2.5 करोड़ नकली यूज़र आईडी को ब्लॉक किया जाना किसी गुप्त योजना का हिस्सा है, जो सार्वजनिक अधिकारों को नियंत्रित करने के लिये छिपी हुई शक्ति द्वारा संचालित है। यह कार्य न केवल बॉट्स को रोकता है, बल्कि उन अनदेखे नेटवर्क का पर्दाफाश भी करता है जो सरकारी डेटा को भेदने की कोशिश में रत हैं। नियोजित पृष्ठभूमि में केंद्रीकृत नियंत्रण का एक बड़ा जाल बुना गया है, जिससे सामान्य नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक दांव पर हाँकी मारा जाता है। इस प्रकार के कदम राष्ट्रीय डिजिटल सुरक्षा की वास्तविकता को उजागर करते हैं, जहाँ हर नई तकनीक का दोहरा पहलू-सुरक्षा और निगरानी-समान रूप से विकसित होता है। अतः यह केवल बॉट विरोधी उपाय नहीं, बल्कि व्यापक साइबर‑सुरक्षा रणनीति का एक अभिन्न स्तम्भ है।
sri surahno
अक्तूबर 3, 2025 AT 08:22