मनु भाकर ने अपने पहले ओलंपिक फाइनल में बनाई जगह, भारत के नीरस दिन को किया रोशन
मनु भाकर ने ओलंपिक फाइनल में बनाई जगह
भारत की उदीयमान निशानेबाज मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक 2024 में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में अपनी जगह बनाई है। यह उनके करियर का पहला ओलंपिक फाइनल है। भाकर ने क्वालीफिकेशन राउंड में 580 अंक हासिल कर तीसरा स्थान प्राप्त किया, जबकि हंगरी की वेरोनिका मेजर ने 582 अंकों के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया।
मनु भाकर की इस उपलब्धि ने देशवासियों का दिल जीत लिया है। उनकी इस सफलता ने न केवल उन्हें नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया है, बल्कि भारतीय शूटिंग टीम के लिए एक नई उम्मीद की किरण भी जगाई है। भाकर की इस सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और संघर्षपूर्ण सफर छिपा है, जिसकी कहानी प्रेरणा से भरी है।
भाकर की आत्मविश्वास से भरी शुरआत
तीन साल पहले टोक्यो ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, इस बार भाकर ने आत्मविश्वास के साथ वापसी की। उन्होंने पहले सीरीज में 97 अंक बनाकर मजबूत शुरआत की और दूसरे सीरीज में भी अपनी फॉर्म को बनाए रखा। हालाँकि, पांचवें सीरीज में एक 8 आई थी, लेकिन उन्होंने खुद को संभालते हुए फाइनल में जगह बना ली।
इस बार भाकर ने दिलचस्प अंदाज में अपनी शर्तों पर खेलते हुए अपने प्रदर्शन को मौका नहीं दिया। उनकी आँखों में दृढ़ता और आत्मविश्वास साफ झलकता था। यही नहीं, उन्होंने अपने हर शॉट पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे उनकी तकनीकी कुशलता का प्रदर्शन हुआ।
रिदम सांगवान का प्रदर्शन भी सराहनीय
मनु भाकर के अलावा, रिदम सांगवान ने भी इस स्पर्धा में भाग लिया था। उन्होंने 573 अंकों के साथ 15वां स्थान हासिल किया। हालाँकि वे फाइनल में जगह नहीं बना पाईं, लेकिन उनका प्रदर्शन भी शानदार रहा। उनके स्कोर ने दिखाया कि भारतीय महिलाएं शूटिंग के क्षेत्र में कितना आगे आ रही हैं।
रिदम की इस उपलब्धि ने भी भारतीय टीम को प्रेरित किया है। उनके संघर्ष और मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है और आने वाले समय में उनसे बड़े प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है।
पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग में नाकामी
भाकर और सांगवान के विपरीत, भारतीय पुरुष निशानेबाज इस दिन अधिक सफल नहीं रहे। सरबजोत सिंह और अर्जुन सिंह चीमा ने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में भाग लिया था, लेकिन दुर्भाग्यवश वे फाइनल में जगह नहीं बना सके। उनके संघर्ष और प्रयासों के बावजूद, वे अपनी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके।
मिश्रित टीम भी रही बाहर
भारत की 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम्स, जिनमें रामिता जिंदल और अर्जुन बबुता तथा एलावेनिल वलारिवान और संदीप सिंह शामिल थे, भी क्वालिफिकेशन राउंड में ही बाहर हो गए। इनमें से किसी भी टीम को फाइनल में जगह नहीं मिल पाई। इन परिणामों से भारतीय शूटिंग टीम के प्रति समर्थन की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।
भारतीय टीम को इन परिणामों से सीखने और अपने खेल में सुधार करने की जरुरत है। खिलाड़ियों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तैयारी की भी बड़ी जरुरत है, ताकि वे आने वाले मुकाबलों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
आगे के मुकाबले की उम्मीदें
महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल रविवार को होगा, जिसमें मनु भाकर का प्रतिष्ठित प्रदर्शन देखने को मिलेगा। भारतीय प्रशंसक इस मुकाबले को लेकर काफी उत्साहित हैं और उनकी सफलता की प्रार्थना कर रहे हैं।
भाकर का यह प्रदर्शन न केवल उनके लिए बल्कि देश के लिए भी गर्व की बात है। उनकी हर सफलता ने युवाओं को प्रेरित किया है और उनके प्रति लोगों का सम्मान बढ़ा है।
उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कुछ भी संभव है। भाकर का यह सफर प्रेरणादायक है और उनके आगे के मुकाबलों में भी हम उन्हें शुभकामनाएं देना नहीं भूलेंगे।