NEET UG 2024: सुप्रीम कोर्ट ने काउंसलिंग पर रोक से इनकार करते हुए पेपर लीक के आरोप पर NTA से मांगा जवाब
परिचय
देशभर के मेडिकल छात्र और उनके अभिभावक इस समय एक बड़े विवाद के बीच फंसे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने NEET UG 2024 परीक्षा में पेपर लीक और अनियमितताओं के आरोपों के बावजूद मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए काउंसलिंग रोकने से इनकार कर दिया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह शामिल थे, ने लिया है। कोर्ट ने कहा है कि काउंसलिंग प्रक्रिया जारी रहेगी, जबकि National Testing Agency (NTA) से इन आरोपों पर जवाब मांगने का निर्देश दिया गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
NEET UG 2024 की परीक्षा मई में आयोजित की गई थी। इसके बाद जून 4 को इसके परिणाम घोषित किए गए। परीक्षा के एलान के बाद से ही कई स्थानों से पेपर लीक और अनियमितताओं की शिकायतें आने लगी थीं। दिल्ली और कोलकाता हाई कोर्ट में भी इस मामले को लेकर याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि पटना में पेपर लीक हो गया और राजस्थान में छात्रों को गलत प्रश्नपत्र दिये गए थे।
अदालत का फैसला
17 मई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की त्रिसदस्यीय बेंच ने परिणाम प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन आरोपों की जांच के लिए नोटिस जारी किया था। इसके बाद 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की सूचीबद्धता की है, जिसमें NTA को इन आरोपों का विस्तृत उत्तर देने के लिए कहा गया है।
छात्रों की चिंताएं
इस बीच, कई छात्र और उनके अभिभावक परीक्षा की प्रक्रिया में सामने आई अनियमितताओं को लेकर बहुत चिंतित हैं। परिणाम में असाधारण रूप से उच्च स्कोर देखे जाने के कारण भी परीक्षा की प्रामाणिकता पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ छात्रों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें परीक्षा के दौरान समय की बर्बादी के लिए मुआवजे के अंक भी संपूर्णता में नहीं मिले।
काउंसलिंग प्रक्रिया
इसके विपरीत, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला परीक्षा की प्रक्रिया को स्थिर बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि काउंसलिंग प्रक्रिया को स्थगित नहीं किया जाएगा ताकि छात्रों के करियर को नकारात्मक रूप से प्रभावित न किया जा सके। ऐसे कठिन समय में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि छात्रों को शिक्षा और करियर के मोर्चे पर उचित समर्थन मिले।
अगले कदम
अब सभी की नजरें 8 जुलाई पर टिकी हैं, जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई होनी है। NTA ने अभी तक अपने उत्तर की घोषणा नहीं की है, लेकिन इस मामले में और भी कई चीजें स्पष्ट हो सकती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का छात्रों और उनके भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
निष्कर्ष
यह मामला शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता के महत्व को दर्शाता है। यदि इन आरोपों में सच्चाई पाई जाती है, तो यह भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। किंतु, फिलहाल छात्रों को धैर्य और समझदारी के साथ काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए और कोर्ट के अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए।