फ्रांस के विधायी चुनावों में फार राइट की बढ़त, बहुमत रोकने को विपक्ष की उम्मीदें
फ्रांस के चुनावों में फार राइट की जोरदार एंट्री
फ्रांस में हुए विधायी चुनावों के पहले दौर में नेशनल रैली पार्टी, जिसकी अगुवाई मरीन ले पेन कर रही हैं, ने जोरदार प्रर्दशन किया है। नेशनल रैली ने लगभग 33% वोट हासिल किए हैं, जिसमें रिपब्लिकन पार्टी के रूढ़िवादी उम्मीदवारों के भी समर्थन शामिल हैं जिन्होंने फार राइट पार्टी के साथ गठबंधन किया है।
वहीं दूसरी ओर, न्यू पॉप्यूलर फ्रंट, जो कि एक वामपंथी गठबंधन है, लगभग 28% वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहा। जबकि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन का सेंट्रिस्ट समूह लगभग 20% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहा। इस चुनाव में लगभग 68% की उच्च मतदाता भागीदारी से यह स्पष्ट है कि इस चुनाव के दांव बहुत उच्च थे और इनका परिणाम फ्रांस और यूरोप दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
विपक्ष की रणनीति और स्थिति
नेशनल रैली की इस मजबूत बढ़त ने उन्हें सत्ता के करीब ला दिया है, जिससे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की सेंट्रिस्ट टीम को एक बड़ा झटका लगा है। नेशनल असेंबली की 577 सीटों में से 78 सीटों पर सीधे जीतने के बाद, बाकी सीटों का फैसला अगले रविवार को होने वाले फाइनल वोटिंग में होगा।
मैक्रॉन के सहयोगियों और बाएं पंथ के नेताओं सहित विपक्षी पार्टियां नेशनल रैली को पूर्ण बहुमत मिलने से रोकने की उम्मीद कर रही हैं। इसके लिए, वामपंथी गठबंधन उन निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों को वापस ले लेगा जहाँ वे तीसरे स्थान पर हैं, ताकि वे अन्य विपक्षी उम्मीदवारों का समर्थन कर सकें जो फार राइट के खिलाफ हैं। इसी प्रकार, मैक्रॉन का सेंट्रिस्ट गठबंधन भी कुछ क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों को वापस खींचेगा।
चुनाव के परिणाम और संभावित प्रभाव
इस चुनाव के परिणाम फ्रांस की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकते हैं। अगर नेशनल रैली पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सफल रहती है, तो यह दुनिया के लिए संकेत होगा कि फार राइट की राजनीति ने फ्रांस जैसे विकसित देशों में भी अपना स्थान बना लिया है। इसके साथ ही, यह कंपाउंडित संकटों के समय में राजनीतिक ध्रुवीकरण और असंतोष का भी संकेत हो सकता है।
रविवार के फाइनल वोटिंग का परिणाम केवल फ्रांस तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका प्रभाव यूरोप की राजनीति पर भी पड़ सकता है। नेशनल रैली का राजनीतिक दृष्टिकोण और उनके एजेंडे का कार्यान्वयन यूरोप में राजनीतिक संतुलन को बदल सकता है।
क्या होगा आगे?
इस महत्वपूर्ण चुनाव के साथ, अन्य देशों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित हो सकता है। यह देखना होगा कि भविष्य में जनता का रूझान किस ओर जाता है और यह किस प्रकार से उनके जीवन और राजनीतिक परिवेश को प्रभावित करता है।
आगामी रविवार को होने वाले मतदान के दौर को सभी पार्टियों और जनता के बीच विपक्ष के संघर्ष का आखिरी मौका माना जा रहा है। सभी पार्टियां अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। पक्ष और विपक्ष दोनों ही आने वाले समय में रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं, ताकि वे अगले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
इस चुनाव के नतीजे कैसी दिशा में जाएंगे, यह समय ही बतायेगा। लेकिन इस समय की स्थिति यह इंगित करती है कि फ्रांस की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन हो सकता है, जो पूरे यूरोप के राजनीति पर असर डाल सकता है।