पंचमी तिथि क्या है और क्यों खास है?

जब आप पंचमी तिथि, हिंदू कैलेंडर में प्रत्येक मास के पाँचवे दिन को कहा जाता है, जो कई धार्मिक अवसरों और जीवन‑शैली के साधनों के साथ जुड़ा होता है, पंचमी के बारे में पढ़ते हैं, तो तुरंत कई सवाल दिमाग में आते हैं—ये कौन‑से देवता का दिन है? कौन‑से व्रत रखे जाते हैं? क्या कोई विशेष भोजन या पूजा‑रिवाज़ है? ये सब जवाब नीचे मिलेंगे, और साथ ही हम पंचमी से जुड़े चार प्रमुख पहलुओं को भी देखेंगे।

पहला प्रमुख पहलू है विष्णु पंचमी, विष्णु जी की आराधना के लिए विशेष रूप से मनाई जाने वाली पंचमी, जिसमें स्नान, गंधक और अरोड़ा के साथ पूजा की जाती है। इस दिन लोग अक्सर हरितालु पादपों की छाया में स्नान करते हैं, क्योंकि विष्णु जी को प्रकृति और जीवन शक्ति से जोड़ा जाता है। दूसरी ओर, शंकर पंचमी, शिव जी को समर्पित पंचमी, जिसमें रात्रि के अंधेरे को मिटाने हेतु दीप जलाए जाते हैं और धूर्त शंकर नृप को याद किया जाता है का भी अपना खास महत्व है। शंकर पंचमी पर अक्सर शिवलिंग को बेल और धतूरा से सजाया जाता है, और भोले को अर्पित भोग में भांग और बकरियों का दान दिया जाता है। दोनों छठी और शंकर पंचमी अलग‑अलग माह में आती हैं, लेकिन दोनों के बीच एक साझा तत्व है—पवित्र स्नान और दान‑धर्म।

पंचमी के प्रमुख रिवाज़ और सामाजिक पहलू

तीसरी बड़ी चीज़ है पंचमी व्रत, उपवास जो शुद्धता, ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाने के उद्देश्य से रखा जाता है, अक्सर फल‑साबुत और नॉन‑वेज़ टालकर किया जाता है। कई लोग इस दिन अन्न, दाल, फल और शुद्ध पानी के अलावा कोई भी केरो तक नहीं लेते। व्रत के दौरान शारीरिक शुद्धि के साथ मन को शान्ति मिलती है, जिससे दिन भर की थकान कम होती है। साथ ही, पंचमी के अवसर पर वृक्षारोपण, पंचमी के दिन पेड़ लगाना, जो पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सहयोग का प्रतीक है का चलन बढ़ रहा है। गाँव‑शहर दोनों में लोग इस दिन पेड़ लगाते हैं, ताकि प्रकृति के साथ संतुलन बना रहे और भविष्य की पीढ़ी को हरा-भरा माहौल मिल सके।

इन रिवाज़ों के अलावा, पंचमी पर विशेष भोजन भी तैयार किया जाता है। कई क्षेत्रों में संतरे के टुकड़े, काजू के लड्डू और हरे चने की दाल को प्रसाद के रूप में प्रसारित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन खाद्य पदार्थों में ऊर्जा और ताजगी होती है, जो पंचमी के शारीरिक एवं आध्यात्मिक लाभ को बढ़ाते हैं। इस समय घर‑घर में शुद्ध शर्करा‑रहित मिठाइयाँ बनती हैं, जिससे मीठा और स्वास्थ्य दोनों का संतुलन बना रहे।

पंचमी का एक और दिलचस्प पहलू है सामाजिक एकजुटता। कई गांव में शाम को पंचमी मिलन समारोह होते हैं, जहाँ लोग एक साथ मिलकर गाने‑बजाने, नाचने, और कथा‑विचार करते हैं। इस सामुदायिक माहौल में लोकगीत, भजन और कथा सुनकर सभी को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। इसके साथ ही, पंचमी पर कई स्थल पर विशेष मेले लगते हैं, जहाँ शिल्प, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पाद बेचे जाते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी कदम मिलता है।

जब हम पंचमी को इस तरह देखते हैं—एक दिन जिसमें धार्मिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक तीनों पहलू जुड़े होते हैं—तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह केवल कैलेंडर की कोई तिथि नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न आयामों को जोड़ने वाला एक पुल है। इस पुल के माध्यम से हमें जीवन‑शैली, आहार, श्रद्धा और समुदाय की गहरी समझ मिलती है। इसलिए यह तिथि न केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बनती है।

आगे चलकर आप यहाँ कई लेख देखेंगे जो पंचमी की विशिष्ट तिथियों, उन पर आयोजित विशेष कार्यक्रमों और विभिन्न क्षेत्रों में मनाई जाने वाली विशेषताएँ दिखाएंगे। चाहे आप विष्णु पंचमी की पूजा, शंकर पंचमी के उत्सव, व्रत‑रिवाज़ या वृक्षारोपण के पहलुओं में रूचि रखते हों, इस संग्रह में आपके लिए उपयोगी जानकारी होगी। तो आइए, इस पृष्ठ पर उपलब्ध विस्तृत सामग्री को देखें और पंचमी के हर पहलू को समझें।

चैत्र नवरात्रि 2025 का पंचमी: स्कंद माताका पूजा विधि, भोग, रंग और महत्व
27, सितंबर, 2025

चैत्र नवरात्रि 2025 का पंचमी: स्कंद माताका पूजा विधि, भोग, रंग और महत्व

चैत्र नवरात्रि 2025 के पंचमी तिथि (3 अप्रैल) को माँ स्कंद माताका की पूजा की जाती है। इस दिन पीले रंग का पहनावा, केले, खीर, शहद आदि भोग और "ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः" मंत्र महत्वपूर्ण हैं। पूजा से बुद्धि, समृद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।

और पढ़ें