आर्टी सारिन: सशस्त्र बलों में महिला नेतृत्व की नई दिशा
इतिहास गवाह है कि भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं ने हमेशा से ही अपनी शक्ति और क्षमता का प्रदर्शन किया है, लेकिन जब बात आती है उच्च पदों की तो आर्टी सारिन का नाम एक नई मिसाल के रूप में उभर कर आता है। सरजन वाइस एडमिरल आर्टी सारिन ने सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (डीजीएएफएमएस) की महानिदेशक के रूप में पदभार संभाल कर इतिहास रच दिया है। वह इस पद को संभालने वाली पहली महिला अधिकारी हैं, जो सेना में महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है।
उच्च शिक्षा और पेशेवर यात्रा
अधिकांश प्रमुख पदों पर महिलाएं विरले ही देखी जाती हैं, लेकिन आर्टी सारिन ने इस धारणा को बदल कर रख दिया है। उन्होंने पुणे के आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी) से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद 1985 में सेना में कमीशन प्राप्त किया। उनकी शैक्षिक योग्यता ही उनके सफलता की कुंजी है; उन्होंने रेडियोडायग्नोसिस में एमडी किया और टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई से रेडिएशन ऑनकोलॉजी में डिप्लोमेट नेशनल बोर्ड प्राप्त किया। उनकी पेशेवर यात्रा में गामा नाइफ सर्जरी में प्रशिक्षण भी शामिल है जिसे उन्होंने पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय से हासिल किया।
कैसे बनीं नेतृत्व का आदर्श
आर्टी सारिन की 38 सालों की सेवा में कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक और अकादमिक भूमिकाएं शामिल हैं। वह आर्मी हॉस्पिटल (आरएंडआर) और कमांड हॉस्पिटल (साउदर्न कमांड)/एएफएमसी पुणे में रेडिएशन ऑनकोलॉजी की प्रोफेसर और प्रमुख रहीं। उन्होंने आईएनएचएस अस्विनी के कमांडिंग ऑफिसर और दक्षिण और पश्चिमी नेवल कमांड में कमांड मेडिकल ऑफिसर की जिम्मेदारी संभाली। उनका अनुभव और ज्ञान चिकित्सा सेवा में अद्वितीय है।
उल्लेखनीय पुरस्कार और योगदान
आर्टी सारिन के प्रति उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। उन्हें 2024 में अति विशिष्ट सेवा पदक और 2021 में विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया। इस प्रतिष्ठान का हिस्सा बनने पर यह सम्मान उन्हें मिला जब उन्होंने चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षित कार्य परिवेश और प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स में सदस्य नियुक्त की गई।
युवा पीढ़ी को प्रेरित करती नारिक शakti
सारिन ने भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के अग्रणी बनने का काम किया है, जिससे युवा महिलाएं प्रेरित होती रहें। 'नारी शक्ति' पहल का हिस्सा बनकर वे युवा पीढ़ी को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करती हैं। ये एक ऐसा कदम है, जो आने वाले वर्षों में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ावा देगा। उनके उदारण ने दिखाया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में नेतृत्व कर सकती हैं।
यह बात महत्वपूर्ण है कि महिलाओं का योगदान अब केवल एक भूमिका नहीं है, बल्कि उन्हें सहजता से स्वीकार किया जा रहा है। आर्टी सारिन का करियर इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है।
Dipankar Landage
अक्तूबर 3, 2024 AT 02:00