राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा: आयोध्या में प्रथम वर्षगाँठ पर भव्य समारोह

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगाँठ: एक स्वर्णिम अध्याय

अयोध्या के पावन धरती पर राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगाँठ एक अत्यंत प्रेरणादायक और गहरा महत्व रखने वाला अवसर है। 11 जनवरी 2025 को मनाई जा रही इस वर्षगाँठ ने पूरे देश को धार्मिक उल्लास और उत्साह से सराबोर किया है। इस आयोजन की योजना हिंदू पंचांग के अनुसार बनाई गई है, जो यह सुनिश्चित करती है कि हर पहलू धार्मिक अनुष्ठानों के अनुकूल हो। राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के पीछे सदियों का त्याग और संघर्ष है, जिसे यह अवसर सजीव बनाता है।

उत्सव की शुरुआत और महत्वपूर्ण कार्यक्रम

इस भव्य समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले राम लल्ला के दर्शन किए। उन्होंने इस मौके पर धार्मिक रीतियों का निर्वहन करते हुए आशीर्वाद लिया। उनकी उपस्थिति ने इस समारोह की गरिमा बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए इसे भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की महान धरोहर बताया। राम मंदिर का ये पर्व, हमारे प्राचीन धरोहर और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

भक्तों और विभूतियों की भागीदारी

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस अवसर पर आम लोगों के साथ-साथ 110 विशेष अतिथियों को आमंत्रित किया है। इन्होंने इस समारोह को धर्म और संस्कृति के महत्तम मंच के रूप में प्रस्तुत किया है। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में राम कथा, मानस प्रवचन और अनेक सांस्कृतिक आयोजन किए जा रहे हैं जो हर दिन दोपहर 2 बजे से प्रारंभ होते हैं। यहां की भावनायों में डूबे लोग, इस शुभ अवसर पर भाग लेकर संघीय भावना का अनुभव कर रहे हैं।

प्राण प्रतिष्ठा के विधान

वर्षगाँठ का एक प्रमुख आकर्षण राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा है। मंदिर के पहले तले पर चार फीट लंबी संगमरमर की मूर्तियों की स्थापना की जा रही है, जिनमें भगवान राम, माता सीता, भगवान हनुमान और भगवान राम के भाई - भरत, लक्ष्मण, और शत्रुघ्न शामिल हैं। यह अद्वितीय प्रतिमाएँ सोने के सिंहासन पर सुशोभित होंगी। भगवान राम और माता सीता को विशेष स्थान दिया गया है, जबकि हनुमान और भरत उनके चरणों के निकट स्थापित होंगे, और लक्ष्मण और शत्रुघ्न उनके पीछे खड़े रहेंगे।

धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का समावेश

आयोध्या के इस धार्मिक आयोजन ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय ध्यान भी आकर्षित किया है। समारोह में धार्मिक प्रवचन, सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से धार्मिक धारा को जीवंत किया गया है। इनमें नाट्य प्रस्तुतियाँ, संगीत संध्या और धार्मिक प्रवचन प्रमुख हैं, जो प्रत्येक दिन एक नई ऊर्जा और उद्देश्य को प्रस्तुत करते हैं। यह समारोह एक महान धरोहर और इतिहास का चित्रण करता है, जो हर भारतीय के दिल में धर्म के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

आयोजन का समापन और महत्त्व

ये तीन दिन अयोध्या की धरोहर को पुन: जाग्रत करने का अवसर देते हैं; यह केवल एक मंदिर का उद्घाटन नहीं है, बल्कि सदियों पुराने संघर्ष और धैर्य का परिणाम है। प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगाँठ समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने का प्रयास करती है, ताकि उन्हें अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ सके। इस उत्सव ने भारत के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य पर अपनी छाप छोड़ी है और इसे आंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित किया जा रहा है।

टिप्पणि:

  • chandu ravi

    chandu ravi

    जनवरी 11, 2025 AT 18:35

    भाई, इस माहौल में दिल खुश हो गया! 😊

  • Neeraj Tewari

    Neeraj Tewari

    जनवरी 11, 2025 AT 19:05

    ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं हमें अतीत की चेतना से जोड़ती हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। इस समारोह से सामाजिक एकता की नई लहर दौड़ रही है। जब लोग मिलकर ध्वज उठाते हैं, तो वह ऊर्जा अनदेखी नहीं रहती। इस प्रकार, हमारा मन भी इस ऊर्जा को महसूस करता है।

  • Aman Jha

    Aman Jha

    जनवरी 11, 2025 AT 19:35

    मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ, और साथ ही ये सोचना भी दिलचस्प है कि इस प्रकार के आयोजनों में व्यक्तिगत धर्मनिष्ठा कितनी गहराई से जुड़ी होती है। कुछ लोग इसे केवल राजनीतिक मंच मानते हैं, पर वास्तविक भावना तो व्यक्तिगत हृदय में निहित होती है। हमें इस भाव को समझते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

  • Mahima Rathi

    Mahima Rathi

    जनवरी 11, 2025 AT 20:05

    सच में, इतनी धूम धड़ाम के पीछे क्या वास्तविक मकसद है? 🙄

  • Jinky Gadores

    Jinky Gadores

    जनवरी 11, 2025 AT 20:35

    जब हम इस स्थल की पवित्रता को नज़र में लाते हैं तो इतिहास की गहराई खुद-ब-खुद हमारे भीतर उभरती है।
    प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि मानव मन की आत्मा के साथ एक संवाद है।
    प्राचीन ग्रंथों में भी इस प्रकार के उत्सव का उल्लेख मिलता है जो सामाजिक सामंजस्य को प्रदर्शित करता है।
    आज का उत्सव आधुनिक तकनीक के संग परम्परागत रीति-रिवाजों को जोड़ कर एक नया स्वरूप ले रहा है।
    इसमें भाग लेने वाले लाखों लोग न केवल व्यक्तिगत आध्यात्मिक स्फूर्ति पा रहे हैं बल्कि राष्ट्रीय गौरव की अनुभूति भी कर रहे हैं।
    आयोध्या की मिट्टी में जो शहद की मिठास है वह सभी ध्रुवों को एक साथ लाने की शक्ति रखती है।
    विरोधियों की आवाज़ें अक्सर शोर में खो जाती हैं पर वास्तविक भावना को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
    प्रत्येक चरण में किया गया संकल्प मानवता की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाता है।
    भक्ति और श्रद्धा के इस मिश्रण में जो ऊर्जा उत्पन्न होती है वह सामाजिक बंधनों को तोड़ कर एक नई सहिष्णुता उत्पन्न करती है।
    इस प्रकार का आयोजन हमारे सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    विचार करिए कि कैसे एक साधारण अनुशासन हमें महान उद्देश्यों की ओर ले जाता है।
    बिना किसी अतिशयोक्ति के कहा जा सकता है कि यह वर्षगाँठ इतिहास के पन्नों में एक सुनहरा अध्याय जोड़ती है।
    हमारे जनमानस में गहरी जड़ें जमाए इस मंदिर का स्वरूप अब भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन चुका है।
    आइए इस उत्सव को केवल देख कर नहीं बल्कि महसूस कर आगे बढ़ें।
    अंत में यह कहना सही रहेगा कि प्रत्येक व्यक्ति की इस यात्रा में भूमिका अनमोल है।

  • Vishal Raj

    Vishal Raj

    जनवरी 11, 2025 AT 21:05

    क्या यह सब इतनी बड़ी बात है वास्तव में यह तो बस एक और कार्यक्रम है।

  • Kailash Sharma

    Kailash Sharma

    जनवरी 11, 2025 AT 21:35

    भाई लोग, ये उत्सव तो भारत की शान बढ़ा रहा है, देखो तो सही! 🎉

  • Shweta Khandelwal

    Shweta Khandelwal

    जनवरी 11, 2025 AT 22:05

    सच में, सरकार के पीछे की हरकतें देखें तो लगता है जैसे कोई बड़े ट्रिकस्टर ने इस पूरे काम को स्टेज पर लाया हो। ये सब दिखावा सिर्फ दिखावे के लिए है, असली मकसद तो कुछ और ही है।

  • sanam massey

    sanam massey

    जनवरी 11, 2025 AT 22:35

    ऐसे विचारों से हमें दूर रहना चाहिए; इस बहुप्रतीक्षित आयोजन को एकता और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखना चाहिए, न कि साजिश की दुविधा के रूप में।

  • jinsa jose

    jinsa jose

    जनवरी 11, 2025 AT 23:05

    हमें यह याद रखना चाहिए कि ऐसी घटनाएँ राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करती हैं और हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखती हैं। इस उत्सव में भाग लेकर प्रत्येक नागरिक अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ रहा है और भविष्य की दिशा तय कर रहा है।

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