राष्ट्रपति चुनाव: समझिए आसान भाषा में

क्या आपने कभी सोचा है कि भारत का राष्ट्रपति सिर्फ ज्यादा वोट लेने से नहीं बल्कि 'वोट की कीमत' से भी बनता है? राष्ट्रपति चुनाव अलग है—यह सीधे जनता की वोटिंग नहीं, बल्कि संसद और विधानसभा के चुने हुए सदस्यों का चुनाव होता है। इसे समझना मुश्किल नहीं, बस नियम और गणना ठीक से जाननी होती है।

इलेक्ट्राल कॉलेज कौन बनाता है?

राष्ट्रपति चुने जाते हैं इलेक्ट्राल कॉलेज से, जिसमें आए हुए सदस्य होते हैं: लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सांसद और सभी राज्य विधायिका (विधानसभा) के निर्वाचित सदस्य। यानि—ऐसे लोग वोट करते हैं जिनका जनप्रतिनिधि होना वैधानिक है। नोट: निर्वाचित सदस्यों के अलावा नामांकित सदस्य मतदान में हिस्सा नहीं लेते।

वोट की गणना कैसे होती है?

यहाँ हर वोट बराबर नहीं माना जाता। राज्य विधायकों के वोट का मान (value) राज्य की आबादी और सदस्यों की संख्या के आधार पर तय होता है। सरल शब्दों में—बड़े राज्य के विधायक का वोट अधिक वजन रखता है। फिर सभी MLA वोटों का कुल जोड़ कर उसे सांसदों की संख्या से बांटकर सांसदों का वोट वैल्यू निकाला जाता है।

मतदान का तरीका single transferable vote (STV) होता है। मतदाता अपने पसंदीदा प्रत्याशी के सामने 1, दूसरे पसंद के सामने 2 और ऐसे आगे नंबर लिखते हैं। अगर किसी उम्मीदवार को आवश्यक बहुमत मिल जाता है तो वह जीतता है; नहीं तो सबसे कम वोट वाले की पर्ची बाहर कर के उसके वोट दूसरे विकल्पों में बांटे जाते हैं। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि जीतने वाला उम्मीदवार बहुमत के समर्थन के करीब हो।

मत गुप्त रखे जाते हैं—मतदाता किसी पर दबाव महसूस किए बिना वोट दें, यह भी कानून में सुरक्षित है।

कौन लागू होता है और चुनाव कब?

उम्मीदवार के लिए कुछ बुनियादी शर्तें हैं: वह भारत का नागरिक हो, कम से कम 35 वर्ष का हो और चुनाव आयोग में नामांकन जमा करे। राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच साल का होता है, पर अगर पद रिक्त हो जाए तो जल्द चुनाव कराए जाते हैं।

चुनाव में पार्टियों की रणनीति, राज्य विधायिका की संख्या और संभावित क्रॉस‑वोटिंग का बड़ा रोल होता है। छोटे दल या निर्दलीय भी किसी बड़े उम्मीदवार को असरदार समर्थन दे सकते हैं अगर वोट वैल्यू उनके पक्ष में हो।

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अगर आप चुनाव की गणना खुद समझना चाहें तो एक आसान अभ्यास करें: किसी राज्य की विधानसभा की संख्या और वोट वैल्यू की जानकारी लेकर MLA वोट वैल्यू निकालें, फिर कुल MLA वैल्यू से MP वैल्यू देखें—इससे पता चलेगा किस हिस्से का वजन कितना है। यह छोटा सा व्यायाम चुनावी तस्वीर को जल्दी स्पष्ट कर देता है।

राष्ट्रपति चुनाव जटिल लग सकता है, पर नियमों को थोड़ा तोड़‑मरोड़ कर समझें तो सब साफ दिखता है। इस टैग पर बने रहें—हम प्रमुख घटनाओं और आंकड़ों को सरल भाषा में लाते रहेंगे।

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