WAQF संशोधन विधेयक 2024: पारदर्शिता और महिलाओं की भागीदारी पर संसद में चर्चा

WAQF संशोधन विधेयक 2024: पारदर्शिता और महिलाओं की भागीदारी पर संसद में चर्चा

पिछले हफ्ते संसद में पेश किया गया WAQF संशोधन विधेयक 2024, 1995 के WAQF अधिनियम में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रयास है। इसका मुख्य उद्देश्य WAQF बोर्डों के कार्यों में पारदर्शिता लाना और इनमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना है। मौजूदा WAQF अधिनियम के तहत, WAQF बोर्ड किसी भी संपत्ति को बिना अनिवार्य सत्यापन के WAQF घोषित कर सकते हैं। इस विधेयक का उद्देश्य इस प्रकार की अनियमितताओं को समाप्त करना है।

WAQF का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और विलासित:

भारत में WAQF का इतिहास दिल्ली सल्तनत दौर से है। 1923 में ब्रिटिश राज के दौरान पहली बार इसका नियमन करने का प्रयास हुआ। स्वतंत्र भारत में 1954 का WAQF अधिनियम इस विषय पर पहली कानूनी पहल थी। वर्तमान में, 1995 का WAQF अधिनियम प्रभावी है।

मुख्य प्रावधान और बदलाव:

विधेयक के महत्वपूर्ण प्रावधानों में शामिल हैं कि किसी भी WAQF संपत्ति का पंजीकरण जिला कलेक्टर के कार्यालय में अनिवार्य होगा, ताकि इसकी उचित जांच हो सके। इसके अलावा, विधेयक में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अधिनियम के प्रारंभ से पहले या इसके बाद जिसे भी किसी सरकारी संपत्ति को WAQF घोषित किया गया हो, उसे WAQF नहीं माना जाएगा। संपत्ति की स्थिति का निर्धारण जिला कलेक्टर करेंगे और आवश्यक बदलाव राजस्व रिकॉर्ड में किए जाएंगे।

विधेयक में विवाद होने की स्थिति में उच्च न्यायालय में अपील की व्यवस्था भी की गई है। साथ ही, केंद्र सरकार को किसी भी समय किसी भी WAQF की ऑडिट करने का अधिकार प्राप्त होगा।

महिलाओं की बढ़ती भागीदारी:

विधेयक में केंद्रीय WAQF काउंसिल और राज्य स्तरीय WAQF बोर्डों में महिलाओं की भागीदारी की भी व्यवस्था की गई है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सम्मिलित किया जाएगा।

सरकार का मानना है कि इन बदलावों के जरिये WAQF संपत्तियों का प्रबंधन बेहतर होगा और मुस्लिम समुदाय में लम्बे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा।

विधेयक को लेकर संसद में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ सांसदों का कहना है कि यह सही दिशा में एक कदम है, जबकि कुछ ने इसे विवादास्पद बताते हुए सवाल उठाए हैं। लेकिन कुल मिलाकर यह देखने की जरूरत है कि इस विधेयक के लागू होने से वास्तव में इसके लाभ कितने और कैसे होते हैं।

हमें उम्मीद है कि यह विधेयक पारित होने के बाद WAQF बोर्डों के कामकाज में सुधार लाने और संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाने में मददगार सिद्ध होगा। यह देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

टिप्पणि:

  • Rajesh Winter

    Rajesh Winter

    अगस्त 8, 2024 AT 23:29

    WAQF में पारदर्शिता का मुद्दा बहुत जरूरी है, खासकर जब महिलाएं बोर्ड में हों। इससे निर्णय अधिक संतुलित होते हैं।

  • Archana Sharma

    Archana Sharma

    अगस्त 14, 2024 AT 12:59

    वाह! महिलाओं की भागीदारी देख के लगता है कि बदलाव की हवा चल रही है 😊

  • Vasumathi S

    Vasumathi S

    अगस्त 20, 2024 AT 02:29

    इस विधेयक के मुख्य उद्देश्य को समझना अत्यंत आवश्यक है।
    पहले यह देखा गया है कि कई WAQF संपत्तियों का पंजीकरण नहीं होता, जिससे अनियमितता बढ़ती है।
    जिला कलेक्टर के माध्यम से पंजीकरण अनिवार्य करने से निगरानी मजबूत होगी।
    यह कदम सम्पत्ति के वास्तविक स्वरूप को स्पष्ट करेगा।
    उच्च न्यायालय में अपील की व्यवस्था न्यायसंगत प्रक्रिया को सुनिश्चित करती है।
    केंद्र सरकार को ऑडिट अधिकार देना पारदर्शिता को बढ़ाएगा।
    महिला प्रतिनिधित्व को अनिवार्य करना सामाजिक समावेशिता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
    यह न केवल निर्णय प्रक्रिया में विविधता लाएगा, बल्कि सामाजिक न्याय को भी मजबूती देगा।
    इतिहास पर नज़र डालें तो WAQF का प्रबंधन अक्सर अभिजात्य वर्ग के हाथ में रहा है।
    अब यह बदलाव सत्ता के केंद्रीकरण को रोकने में सहायक हो सकता है।
    साथ ही, यह विधेयक धार्मिक उद्यमों को आधुनिक प्रशासनिक मानकों के अनुरूप लाएगा।
    कई समुदायों ने इस कदम का स्वागत किया है, जबकि कुछ ने संभावित दुरुपयोग की चेतावनी दी है।
    राजनीतिक विमर्श में यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह बदलाव किस हद तक लागू किया जाएगा।
    वास्तविक प्रभाव तभी दिखेगा जब निगरानी तंत्र सक्रिय और निष्पक्ष हो।
    अंत में, यह कहा जा सकता है कि यह विधेयक भारतीय विधि व्यवस्था में एक प्रगतिशील सुधार का संकेत देता है।

  • Anant Pratap Singh Chauhan

    Anant Pratap Singh Chauhan

    अगस्त 25, 2024 AT 15:59

    मैं मानता हूँ कि महिला सदस्य बोर्ड में नई दृष्टि लाएँगी।

  • Shailesh Jha

    Shailesh Jha

    अगस्त 31, 2024 AT 05:29

    WAQF बोर्ड को अब 'क्लैटर' नहीं, सटीक डेटा गवर्नेंस चाहिए, नहीं तो compliance risk बढ़ेगा।

  • harsh srivastava

    harsh srivastava

    सितंबर 5, 2024 AT 18:59

    ऑडिट पावर से भ्रष्टाचार कम हो सकता है लेकिन सही इम्प्लीमेंटेशन जरूरी है

  • Praveen Sharma

    Praveen Sharma

    सितंबर 11, 2024 AT 08:29

    डेटा वैरिफिकेशन से WAQF की भरोसेमंदिता बढ़ेगी, यही ज़रूरी है।

  • deepak pal

    deepak pal

    सितंबर 16, 2024 AT 21:59

    समझ रहा हूँ कि ये बदलाव सकारात्मक हैं 😎

  • KRISHAN PAL YADAV

    KRISHAN PAL YADAV

    सितंबर 22, 2024 AT 11:29

    जब तक हम KPI‑ड्रिवन फ्रेमवर्क नहीं अपनाते, बोर्ड की इफेक्टिवनेस पर सवाल ही रहेगा।

  • ಹರೀಶ್ ಗೌಡ ಗುಬ್ಬಿ

    ಹರೀಶ್ ಗೌಡ ಗುಬ್ಬಿ

    सितंबर 28, 2024 AT 00:59

    साथी लोग, कभी‑कभी नियमों का ओवर‑डिज़ाइन भी समस्याएँ पैदा कर देता है।

  • chandu ravi

    chandu ravi

    अक्तूबर 3, 2024 AT 14:29

    😭😭😭 बहुत ही उदास लग रहा है कि अभी भी सुधार की जरूरत है!!! 😡😡

  • Neeraj Tewari

    Neeraj Tewari

    अक्तूबर 9, 2024 AT 03:59

    प्रकाश देखना वही है जो अंधेरे को चुनौती देता है, इस प्रकार WAQF का सुधार भी आवश्यक है।

  • Aman Jha

    Aman Jha

    अक्तूबर 14, 2024 AT 17:29

    अगर हम इस विधेयक को सही रूप से लागू कर पाएँ, तो समुदाय के भरोसे में इजाफ़ा होगा।
    वैश्विक स्तर पर भी भारत का उदाहरण सेट हो सकता है।

  • Mahima Rathi

    Mahima Rathi

    अक्तूबर 20, 2024 AT 06:59

    बहुत बढ़िया! 👍

  • Jinky Gadores

    Jinky Gadores

    अक्तूबर 25, 2024 AT 20:29

    सच कहूँ तो यह पहल केवल सतही सुधार तक सीमित है और गहरी संरचनात्मक समस्याओं को नहीं छूती

  • Vishal Raj

    Vishal Raj

    अक्तूबर 31, 2024 AT 09:59

    मैं कहूँ तो अगर ये एक्ट सिर्फ कागज़ पर ही रहेगा तो इसका कोई मूल्य नहीं, वास्तविक परिवर्तन की जरूरत है।

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