पोप फ्रांसिस का संदेश: खाद्य सुरक्षा और समृद्धि के लिए न्यायपूर्ण कदम उठाने का आह्वान
विश्व खाद्य दिवस 2024 के शुभ अवसर पर पोप फ्रांसिस ने वैश्विक नेताओं से अपील की कि वे खाद्य श्रृंखला के अंत में स्थित लोगों की आवाज़ों को महत्व दें। पोप ने यह संदेश फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइज़ेशन (एफएओ) के लिए दिए गए एक संदेश में दिया, जिसमें उन्होंने सॉलिडेरिटी, न्याय, और खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर दिया। यह परिवर्तन इस दृष्टिकोण से होना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति को पोषणयुक्त और सस्ते भोजन तक पहुंच प्राप्त हो सके।
पोप फ्रांसिस ने छोटे किसानों, मजदूरों, गरीबों और भूखे लोगों की बात करते हुए कहा कि इन समूहों को नीति निर्धारण में शामिल करना बहुत आवश्यक है। जब खाद्य नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण किया जाता है, तब इन समूहों की सोच और आवश्यकताओं को शामिल करने से निर्णय और भी न्यायसंगत होंगे। जो लोग ग्रामीण इलाकों में अलग-थलग जीवन बिता रहे हैं, उनकी आवाज़ें भी सुनी जानी चाहिए।
पोप ने एफएओ की पहल के लिए उनकी प्रशंसा की, जो खाद्य प्रणालियों को बेहतर करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने उत्पादन में समावेशिता, विविधता और स्थिरता की ओर ध्यान देने की बात कही। पोप का मानना है कि यह बदलाव केवल आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों को नहीं देखता है, बल्कि इसमें सामाजिक और सांस्कृतिक आयामों को भी शामिल करना आवश्यक है।
समग्र पारिस्थितिकी के महत्व पर जोर
पोप फ्रांसिस ने इस बात पर जोर दिया कि विश्व में खाद्य संकट के समाधान के लिए पर्यावरण संरक्षण के साथ मानव गरिमा की रक्षा करना जरूरी है। उनका कहना है कि केवल आर्थिक पक्ष को देखते हुए नहीं, बल्कि एक व्यापक नजरिये के साथ परिवर्तन लाया जाना चाहिए। इस दिशा में उठाए गए कदमों से न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान होगा बल्कि आने वाले भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भी प्रेरणा मिलेगी।
प्रकृति और इंसानों के बीच संतुलन को बनाए रखना केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि मौलिक आवश्यकता है। वे मानते हैं कि जगत में मौजूद प्रत्येक जीव के लिए सम्मान और उचित व्यवहार सुनिश्चित करने से ही हम सृष्टि और मानवता के सर्वोच्च लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे।
भुखमरी और गरीबी मिटाने का संकल्प
पोप ने पूरी दुनिया से भुखमरी और गरीबी को समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक नैतिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है, और हमें न्याय को हमारे निर्णयों के मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में लेना चाहिए। आचरण को न्याय और समानता पर आधारित करना अत्यंत आवश्यक है ताकि हम समाज के प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
आर्चबिशप चिक्का अरेल्लानो द्वारा संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठनों और निकायों में स्थायी पर्यवेक्षक के रूप में यह संदेश पढ़ा गया। पोप ने ईसाई धर्म के शिक्षा के अनुसार कहा, "जो तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे लिए करें, वही तुम उनके लिए भी करो।" यह एक ऐसा नैतिक आदर्श है जिसे अपनाकर हम एक बेहतर समाज और दुनिया की ओर बढ़ सकते हैं।
पोप फ्रांसिस की यह वार्ता विशेष रूप से इस बात को दर्शाती है कि खाद्य सुरक्षा और मानव गरिमा के प्रति एक संगठित और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है। उनका संदेश यह भी है कि केवल तभी जब हम समावेशिता और न्याय को अपनी नीतियों का आधार बनाएंगे, तब हम खाद्य सुरक्षा और मानव समृद्धि के अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाएंगे।
Kailash Sharma
अक्तूबर 17, 2024 AT 02:10